Sunday, September 7, 2014

सृजन

srujan_hussain सृजन, कुछ शब्दों का बस मेल नहीं
यह तो सारी कल्पनाओं का जीवंत सार है
एफिल, गीज़ा और मोनालिसा तो नमूने भर हैं
सृजन में तो अनंत सा विस्तार है।
बांध तो सृजन को कोई कला से भी सकता है
लेकिन क्या इतने भर से यह कभी थमा है
या फिर हर जड़ में चेतन का संचार
कहीं सृजन से ही तो नहीं बना है!

सृजन उस बच्चे सा सरल है
जिसने अभी-अभी शब्द का अंतर पहचाना
या फिर उस ममता सा मधुर भी
जिसने जीवन के अमरत्व को जाना
मेरे तुम्हारे सृजन के मायने
अलग जरूर हो सकते हैं
लेकिन लक्ष्य सबका एक है
खुशी की वास्तविकता को महसूस कर पाना।


चित्र साभार- मकबूल फिदा हुसैन की प्रसिद्ध कृति 'मदर टेरेसा'

Saturday, May 8, 2010

आज कुछ यूं हुआ कि


" यह कविता 'NK' कहलाने वाली उस लडकी के लिये लिखी गई थी जिसकी सुनहरी गहरी आखों में यह कवि अनंत तक डूबे रहने का इच्छुक था... "
tum
 आज कुछ यूं हुआ कि
बीते समय की परछाईयां यूं ही चली आईं
लगा कुछ ऐसा जैसे 'कल’ जिसे हमने साथ जीया था
बस पल में सिमट भर रह गया हो।

वो जेएनयू का सपाट सा रास्ता
तुम्हारी सुगंध से महकता हुआ,
नहीं-नहीं, वो तो बासी रजनीगंधा की
बेकरार सी एक महक थी!

वो कोने वाली कैंटीन की मेज
जहां तुम बैठा करती थीं,
कुछ झूठे चाय के कप, सांभर की कटोरी
वहां अब भी रखे हुए हैं!

डीटीसी की बस की कोने की सीट
जहां तुम्हारे सुनहरे बाल और आंखे,
धूप में चमका करते थे,
अब वहां बस मैं अकेला बैठता हूं!

वो दिन, जब हम पहली बार मिले थे,
वो कूड़े वाला पासपोर्ट,
वो बस के बोनट पर बैठ मुस्कुराती सी तुम
तुम्हारा साथ, अब सब स्मृति

तस्वीर में तुम्हारा साथ न आना
दूर दूर चलते जाना
वो लंबी बेचैनी ,
वो तन्हा थे दिन

तुम्हारे लिए,
मैने उम्मीद को जिंदा बनाए रखा,
लगता था मुझे तुम आओगी पास
पर अब सब...

अब तुम समय के रथ पर सवार,
जा रही हो, महाद्वीपों से भी पार
मैं जमीन का कवि
जमीन से चस्पां मेरी कविता

यह कविता, नेरुदा की तरह
मेरी आखिरी भेंट है तुम्हे,
मेरा प्यार, तुम्हारे अभाव में,
तुम्हे भूलता जाएगा, शायद!!!

Sunday, February 28, 2010

बसंत का गीत

spring

जब सर्द हवाएं
सांय-सांय बियाबान पार कर जाती हैं
जब रात का स्याह घेर लेता है मुझको
तब याद आती हो तुम

खामोशी और भी गहरी होती जाती
दूरियां भी शायद बढ़ती ही जातीं
और धुंधलता जाता अतीत
तब याद आती हो तुम

जब बसंत की रुत आती है
चारों ओर जीवंतता छाती है
और खिलते हैं रंग-बिरंगे फूल
तब याद आती हो तुम

यह सारा बसंत, यह सारी जीवंतता
यह रंग बिरंगे फूल
सब तुम्हारे लिए हैं
और तुम्हारी याद दिलाते हैं।

Tuesday, September 15, 2009

Memories

anamika I am sitting here
in this hollow time,
and beyond the dusky memories
her image is quiet clear to me!
I loved her, or not
that is not sure to me
but like a blind faith
she always loved me
Those were the dusky days
but her innocent love
like a light in the dark
always took care of me!
I am thankful to every breeze
that took me to her,
Whenever I felt myself alone
here too, her memri'es took care of me!

Monday, September 14, 2009

Ripples

anamika There are many shades in life
like bright, black & full of enthusiasm
some are quoted down by pen
also some refused for so.

My camera wants to see you in lens
my pen wants to spread ink for you
my mind wants to think only of you
my soul wants to rest near you.

like the ripples in a lonely deep pond
your memories are going far
ways to keep them
seems to all lost now.

Finally on someday, with goodbye on lips
you must've to go
we like two ends of ripples
will someday go farther & farther.

Sunday, August 9, 2009

चांद का साथ चलना

moon_with_me

तारों का टिम-टिम करना
पत्तों का सरसराना
चांद का यूं अनंत तक साथ में चलते जाना
अखरने सा सब लगता है!

अखरता है वो चांद की, चांदनी का दूर-दूर रहना
अखरता है बेमतलब चांद का यूं ही छिप जाना
होते तो चांद में भी कुछ दाग हैं मगर
अखरता है उन दागों का यूं ही भुला दिया जाना!

जब निराश सा कवि कहीं दूर
शब्दों के सृजन में व्यस्त होता है
तब चांद की किरणे धरती का स्पर्श करती हैं,
लेकिन कविता की निराशा में
इस आशा का तब कोई महत्व नहीं रहता शायद?

Thursday, July 30, 2009

दिल का बहलना

mobile

 

 

 

 

 

 

 

 

कहने को तो लगाव, किसी से भी हो सकता है,
मसलन जीवित इंसान!
अगर वो न सही,
तो कोई पालतू ही सही
पालतू भी फालतू नहीं हो तो क्या,
दिल तो किसी भी चीज से बहल सकता है।

ऐसा भी हो सकता है,
कि जिस चीज से आपका दिल बहला हो
वो दुनिया की नजर में बेवकूफाना हो!
पर दिल तो दिल है
वो तो मामूली सी चीज से भी बहल सकता है।

और मामूली सी निर्जीव सी वस्तु भी
अगर छिन जाए तो क्या हो?
सूनेपन बेहद सूनेपन के अंधियारे से
भर जाते हैं रात और दिन।

 
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